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Trimbakeshwar Temple Full Story:त्र्यंबकेश्वर मंदिर पूरी कहानी

Trimbakeshwar Temple,महाराष्ट्र के नासिक जिले  में त्रयंबक गांव में  स्थित है यह त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक है  सावन के महीने में यहा भक्तो की भारी भीड़ लग जाती है सावन के दिनों में भक्त यहा पापो से मुक्ति पाने के लिए पहुच जाते है

त्र्यंबकेश्वर मंदिर इतिहास : Trimbakeshwar Temple History

Trimbakeshwar Temple महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है यह मंदिर नासिक शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है त्र्यंबक  यहा के निकटवर्ती ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम स्थान है इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल  में लगभग 1000 साल पहले हुआ था Trimbakeshwar Temple का निर्माण लगभग 13 वीं से 14 वीं शताब्दी के बीच हुआ था इसकी तिथि स्पष्ट नहीं की जा सकती  इसे कई सदियों पहले बनाया था इसे ऐतिहासिक स्थल माना जाता है Trimbakeshwar Temple में छोटे से गड्ढे में तीन छोटेछोटे  लिंग है , जो ब्रह्मा ,विष्णु ,और शिवयह इन  तीनो देवताओ के प्रतीक मने जाते है  और इस मंदिर  के प्रांगण में एक बड़ा और ऊंचा शिवलिंग स्थापित है जिसे लोग त्रयंबक के नाम से जानते है त्र्यंबकेश्वर  मंदिर का अर्थ तीनो अधिदेवो का मंदिर माना  जाता है TrimbakeshwarTemple का निर्माण कालगनिक नामक पत्थर से हुआ है यह पत्थर महाराष्ट्र में पाया जाता है यह पत्थर मंदिर ऐतिहासिक स्थलो के निर्माण में ही उपयोग में लिया जाता है इस मंदिर की सीढ़ियों में बैठना शुभ माना जाता है यह पौराणिक परम्परा मानी जाती है शिवपुराण के अनुसार ब्रह्मगिरि पर्वत के ऊपर जाने के लिए सात सौ सीढ़ियां बनी हुई है इन सीढ़ियों पर चढ़ते है तो सबसे पहले रामकुण्ड ,और लक्ष्मणकुण्ड आते है और ऊपर शिखर पर पहुँचने पर भगवती गोदावरी के दर्शन करने को मिलते है

त्र्यंबकेश्वर मंदिर की खास विशेषता :Special Feature of Trimbakeshwar Temple

त्र्यंबकेश्वर मंदिर में ब्रह्मा ,विष्णु और महेश तीनो एक ही स्थान पर विराजमान है इनको त्रिदेव के नाम से भी जाना जाता है ,यही इस ज्योर्तिलिंग की सबसे बड़ी विशेषता है और सभी ज्योतिर्लिंगों में केवल भगवान शिव ही विराजमान है

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा :Story of Trimbakeshwar Jyotirlinga

त्र्यबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पौराणिक कथा के अनुसार ,प्राचीन समय में ब्रह्मगिरि पर्वत पर श्री गौतम ऋषि मुनि अपनी पत्नी श्रीमती अहिल्या के साथ आश्रम में रहते थे वहा तपोवन में रहने वाले ब्रह्मण की पत्निया देवी अहिल्या से नाराज हो गई और फिर  महर्षि गौतम का अपमान करने के लिए ब्रह्मणो ने गणेश  जी की कठोर तपस्या करनी शुरू कर दी,ब्रह्मणो की तपस्या से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उनको दर्शन दिया और कहा बताओ क्या वर मांगना चाहते हो तब ब्रह्मणो ने महर्षि गौतम को तपोवन से बहार निकालने का वर मांगा ऐसा  करने के लिए गणेश जी भगवान ने ब्रह्मणो को मना किया पर वह फिर भी नहीं माने गणेश जी भगवान को उनकी जिद के सामने झुकना पड़ा और ब्रह्मणो को वर दे दिया ऐसा करने पर सारे ब्रह्मणो ने मिलकर गौतम ऋषि पर गोहत्या का आरोप लगा दिया और कहा तुम इस आश्रम से निकल जाओ ऐसे गौ हतयारे को इस आश्रम में रहने का कोई अधिकार नहीं है पहले तुम्हे अपनी गलती का पश्च्याताप करना होगा और यहां पर देवी गंगा को लाना होगा तभी तुम्हारे पापो से छुटकारा मिलेगातभी तुम यहां रह सकते हो ऐसा कहकर ब्रह्मणो ने गौतम ऋषि और उनकी उनकी पत्नी को आश्रम से बहार निकाल दियाआश्रम से बाहर  जाकर गौतम ऋषि ने एक शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर  तपस्या में लग गए ,प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन  दिए और गौतम ऋषि को वर मांगने के लिए कहा,तब गौतम ऋषि ने कहा हे भगवन मुझ से बहुत बड़ा अपराध हुआ है मुझसे गौ हत्या हुई है मै  इसका पश्च्याताप करने के लिए गंगा माता को यहां लाकर उनके जल से स्नान करकर इस पाप से मुक्ति पाना चाहता हु, तब भगवन शिव ने बताया की तुमने कोई पाप नहीं किया तुम्हारे साथ छल हुआ है  इस छल का दंड उन ब्रह्मणो को मिलना चाहिए ,तब गौतम ऋषि ने कहा हे भगवन इस पाप के लिए उन मूर्खो को माफ़ कर दीजिये उनके इस छल की वजह से ही मुझे आपके दर्शन हुए हैगौतम ऋषि ने गंगा माता को इस स्थान पर लाने के लिए  प्राथना की तब गंगा मइया ने कहा मै तभी  यहा  विराजमान होऊगी ,मै जिनकी  जटाओ में निवास करती हु  वो भगवान शिव यहा रहेंगे यह सुनकर भगवान शिव ने गंगा मइया की यह बात स्वीकार कर ली और यहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने लगे | और महर्षि गौतम के द्वारा लाई गई गंगा माता यहां गोदावरी के नाम से प्रवाहित होने लगी|

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन :

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन  के लिए मंदिर में भक्तो  की भीड़ होती है यहां भक्तो  को लाइनों में खड़े रहकर इंतजार करना पड़ता है दर्शन  के लिए मंदिर के पूर्वी द्वार से प्रवेश करना होता है (अगर आप चाहो तो 200 रुपए की टिकट करवाकर आधे घंटे में भी V .I .P दर्शन कर सकते है ) मंदिर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले नंदीजी के दर्शन होते है और फिर आगे बढ़ने पर हम मुख्य द्वार में पहुच जाते है इसके बाद गर्भगृह के दर्शन करने को मिलते है उनके दर्शन हमे बाहर  से ही करने पड़ते है हम अंदर प्रवेश नहीं कर सकते यहां एक साथ ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनो विराजमान है हमे तीनो के दर्शन एक साथ करने को मिलते है इनकी छवि हमे स्पष्ट रूप से दिखाई देती है  सुबह की पूजा के समय के बाद स्वर्ण जड़ित मुकुट त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पर रखा जाता है इस मुकुट को लेकर कहा जाता है की यह मुकुट पांडवो के समय से ही यहा विराजमान है आप इसे भी देख सकते है कहा जाता है की ज्योर्तिलिंग के दर्शन  करने पर सभी पापो से छुटकारा प्राप्त हो जाता है इसलिए उनके दर्शन हमे पुरे श्रद्धा भाव से करने चाहिए |

दर्शन के नियम और समय :

Trimbakeshwar Temple  में सोमवार, शिवरात्रि ,और सावन इन दिनों भक्तों की भारी भीड़ दिखने को मिलती है इन दिनों लोग अपनी अपनी मनोकामनाओ को लेकर पुरे श्रद्धा भाव से जाते है कहा जाता है की इन दिनों की गई मनोकामना जल्दी पूरी होती है त्र्यंबकेश्वर मंदिर  में सिर्फ सुबह 6 से 7 बजे के बिच ही अभिषेक करने दिया जाता है और उसी समय ही आप ज्योतिर्लिंग को छू सकते है , अभिषेक करने वाले पुरुषों को धोती पहनकर ही जाना होता है  और महिलाओ को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है वह 3 से 4 फुट की दुरी से ही दर्शन कर सकती है आप अपनी पूजा करवाने के लिए पुजारी की मदद ले सकती है त्र्यंबकेश्वर के दर्शन  हम दिन के समय में ही कर सकते है मंदिर के खुलने का समय सुबह 5 :00 बजे से स्याम 9 :00 बजे तक ही  रहता है

प्रात: आरती का समय 5:30 से 6 :00 तक रहता है

मध्यान्ह पूजा का समय 1 :00 से 1 :30 बजे तक होता है

संध्या पूजा का समय 7 :00 से रात्रि 9 :00 बजे तक रहता है

और भगवान शिव के स्वर्ण मुकुट के दर्शन का समय 4 :30 से 5 :00 बजे तक रहता है और त्योहारों के समय इन सभी के समय में परिवर्तन भी हो सकता है

त्र्यंबकेश्वर मंदिर के आसपास प्रमुख पर्यटक स्थल :Major Tourist Place Around Trimbakeshwar Temple

यह आसपास में कई प्रमुख पर्यटन स्थल है जिनमें से गंगा घाट ,दुर्गा देवी मंदिर ,शांतिनिकेतन ,नासिक महानगर के प्रसिद्ध बाजार आदि शामिल है यहां आप गोदावरी नदी के किनारे भी घूमने का आनंद ले सकते है

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