Holi 2024 date : होली तिथि ?होली पूजन विधि, व होलिका और प्रहलाद कहानी 

Holi 2024 Festival

Holi  रंगो का प्रमुख त्यौहार है हिन्दुओ में यह त्यौहार अधिक उत्साह से मनाया जाता है होली का त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है होली का त्यौहार 2  दिन तक मनाया जाता है पहले दिन पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और दूसरे दिन बड़े उत्साह से रंगो की होली खेली जाती है इस रंग गुलाल लगाकर दिन सभी सगे सम्बन्धी, भाई बहन ,सभी आपस में रंग गुलाल लगाकर और पिचकारियाँ डालकर होली का आनंद लेते है इस दिन सभी लोग लड़ाई झग़डे भूलकर आपस में बड़े मजे से मनाते है  यह दिन छोटी होली और दुलहंडी के नाम से भी जाना जाता है

Holi 2024

HOLI 2024 Date 

इस साल 24  मार्च 2024 रविवार को होलीका दहन  किया जायेगा इस दिन भद्रा का खास ख्याल रखा जाता है 2024 के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 07 :19 बजे से लेकर 09 :38 बजे तक रहेगा और 25 मार्च 2024 सोमवार को रंगो का त्यौहार ,दुलहंडी मनाया जायेगा और इस साल वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण भी होली के दिन लगने जा रहा है

चंद्रग्रहण 2024

2024 का पहला चंद्रग्रहण होली के दिन लगने जा रहा है यह चंद्रग्रहण सुबह के 10 :23  से लेकर, दोपहर के 03 :2 तक रहेगा | पर कहा जा रहा है की यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा ,और ना ही इसका सूतक भारत में लागु होगा और होली के त्यौहार पर इसका को असर नहीं होगा ,भारत में हसी- खुशी से यह त्यौहार मनाया जाये गा (ज्योतिष के अनुसार कहा जा रहा है की यह चंद्र ग्रहण कन्या राशि में लगने जा रहा है इन राशि वाले लोगो को अपना खास ख्याल रखना होगा

होलिका दहन पूजा विधि

होलिका दहन पूजा हमे स्नान करके ही करनी चाहिए | सुबह उठकर पूजा करने से पहले स्नान करना चाहिए

होलिका पूजन के समय हमे होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा में मुँह करके बैठना चाहिए

इसके बाद पूजन सामग्री के लिए एक लोटा जल ,माला ,रोली ,चावल ,गंध ,पुष्प ,कच्चा सूत ,गुड़ ,साबुत हल्दी ,मुंग ,बतासे ,गुलाल और नारियल व गेहूँ की बालिया आदि ले

और गोबर से बनी ढाल व अन्य खिलोने रख दे और कच्चे सूत को होलिका के चारो ओर परिक्रमा करते हुए 3 या 7 बार लपेट दे फिर सभी सामग्री और मिठाई होलिका को अर्पण कर दे

होलिका पूजन के बाद जल से अर्ध्य दिया जाता है और जोड़कर नमन करना चाहिए

होली कितने प्रकार की होती है : Types of Holi 

भारत में अनेक प्रकार से Holi  का त्यौहार मनाया जाता है

  • लट्ठमार होली – ब्रज के छेत्र मथुरा में लट्ठमार होली होली मनाई जाती है यह होली बहुत प्रसिद्ध मानी जाती है इसे नृत्य के साथ खेला जाता है
  • फूलो की होली -गुजरात के द्वारका में और मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर में फूलो की होली खेली जाती है यहां गुलाल और पिचकारियों की जगह फूलो की पंखुडिया एक दूसरे पर फकी जाती है
  • अंगारो की होली – इस तरह की होली के बारे में शायद ही किसी को पता होगा राजस्थान के उदयपुर जिले के गांव बलीचा में इस तरह की होली खेली जाती है वह लोग अंगारो पर चलकर  दौड़कर अपनी वीरता और साहस का प्रदर्शन  करते है
  • रंगो की होली – उत्तरप्रदेश ,बिहार ,दक्षिणी भारत ,मध्य भारत ,उत्तर पूर्वी भारत इन छेत्रो में रंगो से होली का त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाया जाता है खासकर दिल्ली ,पटना ,वाराणसी ,मथुरा ,अयोद्धा ,भोपाल  जैसे शहरों में तो बिलकुल अलग ढंग और उत्साह से बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है
  • पत्थरो वाली होली -इसे पत्थरमार होली भी कहा जाता है यहा लोग आपस में पत्थर मारकर होली खेलते है यह बड़े पत्थर नहीं होते है छोटे -छोटे कंकड़ होते है यह होली साथ मिलकर ढोल नगाड़ो के साथ खेली जाती है
  • उपलों के राख की होली -राजस्थान के डूंगरपुर में गोबर से बने उपलों इसे कंडा भी कहा जाता है इनको जलाने पर जो राख निकलती है वहा के लोग उससे होली खेलते है
  • लड्डुओं की होली -इसे लड्डूमार होली भी कहा जाता है मथुरा के वृंदावन में और श्री राधारानी के बरसाना में लट्ठमार होली और बांकेबिहारी मंदिर में फूलो की होली इन्ही के साथ यह लड्डू होली भी खेली जाती है यहाँ रंगो की जगह लड्डूओ से होली खेलते हैholi 2024

होलिका और प्रहलाद कहानी  :Holika And Prahlad Story

एक समय की बात है हिरण्यकशिपु नाम का शक्तिशाली राजा हुआ करता था वह शैतान था वह सोचता था की मै दुनिया में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हु ,वह खुद को भगवान के समान मानता था और यह सोचता था की सभी मेरी पूजा करे और मेरा आदेश माने परन्तु उसके उत्पात से तंग आकर सब उससे नफरत करते थे ,उसके पुत्र का नाम प्रहलाद था वह भगवान विष्णु का भगत था उसके पिताजी को अपने पुत्र की यह बात पसंद नहीं  थी वह चाहता था की उसका पुत्र उसी की पूजा करे उसके पुत्र ने ऐसा करने से इंकार कर दिया इस बात से क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने अपने बेटे को मारना चाहा उसके अनेको प्रयास से वह नहीं मरा तो उसने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी | होलिका को अगनी में न जलने जा वरदान प्राप्त था इसलिए होलिका ने झूठ बोलकर अपने भतीजे प्रहलाद को चिता में बैठने के लिए मनाया ,पर होलिका की सभी शक्तिया व्यर्थ गई वह उसकी बुराई के कारण उसी अग्नि में जलकर मर गई और प्रहलाद अपनी अच्छाइयों के कारण अग्नि में भी जीवित  बच गया और अच्छाई पर बुराई की हार हो गई

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होली का सन्देश

होलिका दहन से सभी लोगो को यह सन्देश मिलता की बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है हमे होलिका दहन में बुराइयों को जलाकर अच्छाइयों को अपनाना चाहिए

 

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